मुद्रण
संस्कृति और आधुनिक दुनिया
अध्याय
-5
कक्षा
-10वीं
प्रश्न :
सबसे पहले मुद्रण की तकनीक किन देशों में विकसित हुई ?
उत्तर : मुद्रण कि
सबसे पहली तकनीक चीन, जापान और कोरिया में विकसित हुई |
प्रश्न :
वुड ब्लॉक प्रिंटिंग की तकनीक किस देश में सबसे पहले किस देश में और कब विकसित की
गई ?
उत्तर : वुड ब्लॉक
प्रिंटिंग की तकनीक सबसे पहले चीन में लगभग
594ई० विकसित की गई थी |
प्रश्न :
चीन में लगभग 594ई० किताबें किस तरह छापी जाती थी ?
अथवा
प्रश्न :
चीन में किस शैली की किताबें बनाई जाती थी ?
उत्तर : तकरीबन 594ई० से
चीन में स्याही से लगे काठ के ब्लॉक या तख्ती पर रगड़कर किताबें छापी जाने लगी थीं
| चूँकि पतले, छिद्रित कागज के दोनों तरफ छपाई संभव नहीं थी, इसलिए पारम्परिक चीनी
किताब ‘एकार्डियन’ शैली में किनारों को मोड़ने के बाद सिल कर बनाई जाती थी |
प्रश्न :
सुलेखक या खुश खत किसे कहा जाता था ?
उत्तर : किताबों का
सुलेखन या खुशनवीसी करने वाले लोग दक्ष सुलेखक या खुशखत होते थे, जो हाथ से बड़े
सुंदर –सुडौल अक्षरों में सही –सही कलात्मक लिखाई करते थे |
प्रश्न :
एक लंबे अरसे तक मुद्रित सामग्री का सबसे बड़ा उत्पादक चीनी राजतन्त्र था | इस कथन
पक्ष में तर्क दीजिए |
उत्तर : एक लंबे अरसे
तक मुद्रित सामग्री का सबसे बड़ा उत्पादक चीनी राजतन्त्र था | क्योंकि सिविल सेवा परीक्षा से नियुक्त चीन की
नौकरशाही भी विशालकाय थी, तो चीनी राजतन्त्र इन परीक्षाओं के लिए बड़ी तादाद में
किताबें छपवाता था | सोलहवीं सदी में परीक्षा देने वालों की तादाद बढ़ी, लिहाजा छपी
किताबों की मात्रा भी उसी अनुपात में बढ़ गई |
प्रश्न :
सत्रहवीं सदी तक आते –आते चीन में छपाई के इस्तेमाल में भी विविधता आई | उदाहरणों
द्वारा इस तथ्य का विश्लेषण कीजिए |
उत्तर : सत्रहवीं सदी
तक आते –आते चीन में छपाई के इस्तेमाल में भी विविधता आई | जो निम्न उदाहरणों से
स्पष्ट है |
(i)
सत्रहवीं सदी तक आते –आते चीन में शहरी
संस्कृति के फलने –फूलने से छपाई के इस्तेमाल में भी विविधता आई |
(ii)
अब मुद्रित सामग्री के उपभोक्ता सिर्फ विद्वान
और अधिकारी नहीं रहे |
(iii)
व्यापारी अपने रोजमर्रा के कारोबार की जानकारी
लेने के लिए मुद्रित सामग्री का इस्तेमाल करने लगे |
(iv)
पढ़ना एक शगल भी बन गया | नए पाठक वर्ग को
काल्पनिक किस्से, कहानियाँ, कविताएँ , आत्मकथाएँ, शास्त्रीय साहित्यिक कृतियों के
संकलन और रूमानी नाटक पसंद थे |
(v)
अमीर महिलाओं ने भी पढ़ना शुरू कर किया और कुछ
ने स्वरचित काव्य और नाटक भी छापे |
प्रश्न :
क्या कारण थे कि उन्नीसवीं सदी के अंत में शंघाई प्रिंट –संस्कृति का नया केन्द्र
बन गया ?
उत्तर : चीन में पढ़ने
की नई संस्कृति एक मुद्रण की नयी तकनीक के साथ आई | उन्नीसवीं सदी के अंत में
पश्चिमी शक्तियों द्वारा अपनी चौकियाँ स्थापित करने के साथ ही पश्चिमी मुद्रण
तकनीक और मशीनी प्रैस का आयात भी हुआ | इस तरह
पश्चिमी शैली के स्कूलों की जरूरतों को पूरा करने वाला शंघाई प्रिंट –संस्कृति
का नया केन्द्र बन गया | हाथ की छपाई की
जगह अब धीरे-धीरे मशीनी या यांत्रिक छपाई ने ले ली |
प्रश्न : जापान
में मुद्रण की तकनीक कब और कौन लोग लेकर आए ?
उत्तर : चीनी बौद्ध
प्रचारक 768
-770 ई० के आस पास छपाई की तकनीक लेकर जापान आए |
प्रश्न : जापान की
सबसे पहली पुस्तक का क्या नाम है ? यह पुस्तक कब छापी गई ?
उत्तर : जापान की
सबसे पुरानी पुस्तक डायमंड सूत्र है| यह 868 ई० में छापी गई |
प्रश्न :
जापान में तस्वीरें अकसर किस प्रकार की
सतह पर बनाई जाती थी ?
जापान में तस्वीरें
अकसर कपड़ों, ताश के पत्तों, और कागज के नोटों पर बनाई जाती थीं |
प्रश्न :
जापान के शहर तोक्यो को अठारहवीं सदी के अंत तक किस नाम से जाना जाता था ?
उत्तर : एदो
प्रश्न : त्रिपिटका कोरियाना की मुख्य विशेषताएँ बताइए ||
उत्तर : 13वीं शताब्दी के मध्य में त्रिपिटका कोरियाना, वुड ब्लॉक्स मुद्रण के रूप में बौद्ध ग्रंथों का कोरियाई संग्रह है |
इन ग्रंथों को लगभग 80,000 वुडब्लॉक्स पर उकेरा गया है |
इन्हें 2007 में यूनेस्कों मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में
अंकित किया गया है |
प्रश्न : कितागावा
उतामारो कौन थे ? उन्होंने किस प्रकार की चित्रात्मक शैली में अहम योगदान किए ?
इनकी छपी प्रतियों ने किन लोगों को प्रभावित किया ?
उत्तर : कितागावा
उतामारो 1753
ई० में एदो में पैदा हुए थे
|
कितागावा उतामारो ने उकियो (तैरती दुनिया के चित्र) नाम की एक नयी चित्रात्मक शैली में अहम योगदान किए, जिनमें आम शहरी जीवन का चित्रण किया गया |
इनकी छपी प्रतियाँ यूरोप और अमेरिका पहुँची और माने, मोने और वान गॉग जैसे चित्रकारों को प्रभावित किया |
प्रश्न :
वुड ब्लॉकप्रिंट या तख्ती की छपाई यूरोप यूरोप में 1295 बाद आई | इसके
क्या कारण थे ?
उत्तर : सदियों तक चीन से रेशम और मसाले रेशम मार्ग से यूरोप आते
रहे थे | ग्यरहवीं सदी में चीनी कागज भी उसी रास्ते वहाँ पहुँचा |
1295 ई० मार्को पोलो
नामक महान खोजी यात्री चीन में काफी सालों तक खोज करने के बाद इटली वापस लौटा |
चीन के पास वुड बलॉक
(काठ की तख्ती) वाली छपाई की तकनीक पहले
से मौजूद थी | मार्को पोलो यह ज्ञान अपने साथ लेकर लौटा | इतालवी भी तख्ती की छपाई
से किताबें निकालने लगे और जल्द ही यह तकनीक बाकि यूरोप में फ़ैल गई |
प्रश्न : यूरोप
में मुद्रित किताबों को सस्ती, अश्लील मानने वाले कुलीन वर्गों और भिक्षु –संघों
के लिए छपी किताबों के विलासी संस्करण किस पर छपते थे ?
उत्तर : यूरोप में मुद्रित
किताबों को सस्ती, अश्लील मानने वाले कुलीन वर्गों और भिक्षु –संघों के लिए छपी
किताबों के विलासी संस्करण अभी भी बेशकीमती वेलम (Vellum) या चर्म पत्र पर ही
छपते थे |
प्रश्न : व्यापारी और विश्व विद्यालय के विद्यार्थी किस प्रकार की
किताबें खरीदतें थे ?
उत्तर : व्यापारी और विश्व विद्यालय के विद्यार्थी सस्ती मुद्रित किताबें ही खरीदते थे |
प्रश्न : गुटेन्बर्ग
प्रेस पर टिप्पणी कीजिए |
उत्तर : स्ट्रैसबर्ग
के योहान गुटेनबर्ग ने सबसे पहले आधुनिक
प्रिंटिंग प्रेस का अविष्कार किया था |
गुटेन्बर्ग के पिता
व्यापारी थे, और वह खेती की एक बड़ी रियासत में पल –बढ़कर बड़ा हुआ | वह बचपन से ही
तेल और जैतून पेरने की मशीने (Press) देखता आया था |
उसने पत्थर पर पॉलिस
करने की कला सीखी फिर सुनारी और अंत में उसने शीशे को इच्छित आकृतियों को गढ़ने में
महारत हासिल कर ली |
अपने ज्ञान और अनुभव
का इस्तेमाल उसने अपने नए अविष्कार में किया |
जैतून प्रेस ही प्रिंटिंग प्रेस का मॉडल या आदर्श बना, और
साँचें का उपयोग अक्षरों की धातुई आकृतियों को गढ़नें के लिए किया गया | गुटेन्बर्ग
ने 1448
तक अपना यह यंत्र मुकम्मल
कर लिया था | उसने पहली किताब बाइबिल छापी
थी |
प्रश्न :
गुटेन्बर्ग ने पहली किताब कौन-सी छापी थी
| बाइबिल की तकरीबन 180 प्रतियाँ बनाने में उसे कितने साल लगे थे ?
उत्तर : गुटेन्बर्ग
ने पहली किताब बाइबिल छापी थी | तकरीबन 180 प्रतियाँ
बनाने में उसे तीन साल लगे | जो उस समय के हिसाब से काफी तेज था |
प्रश्न :
गुटेन्बर्ग प्रेस के द्वारा शुरू –शुरू
में तो छपी किताबों की कौन –कौन सी विशेषताएँ थी ?
उत्तर : शुरू –शुरू
में तो छपी किताबों की निम्नलिखित विशेषताएँ थी |
(i)
शुरू –शुरू में तो छपीकिताबें अपने रंग –रूप
और साज –सज्जा में हस्तलिखित पांडुलिपियों जैसी दिखती थीं |
(ii)
धातुई अक्षर हाथ की सजावटी शैली का अनुकरण करते थे |
(iii)
हाशिए पर फूल –पत्तियों की डिजाइन बनाई जाती
थी, और चित्र अकसर पेंट किए जाते थे |
(iv)
अमीरों के लिए बनाई गई किताबों के पन्ने पर
हाशिये की जगह बेल –बूटों के लिए खाली छोड़ दी जाती थी |
(v) हर खरीददार अपनी रूचि के हिसाब से डिजाइन और पेंटर खुद तय करके उसे सँवार सकता था |
प्रश्न : कोरिया की जिक्जी को यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में क्यों अंकित किया गया है ?
उत्तर :कोरिया की
जिक्जी (Jikji) मूवेबल मेटल टाइप (Movable metal type) के साथ
मुद्रित दुनिया की सबसे पुरानी मौजूदा पुस्तकों में से है |
इसमें से ज़ेन बौद्ध
धर्म की मुख्य विशेषताएँ हैं |
पुस्तक में भारत, चीन
और कोरिया के लगभग 150 बौद्ध भिक्षुओं का उल्लेख किया गया है |
इसे 14 वीं
शताब्दी के अंत में मुद्रित किया गया था |
पुस्तक का पहला खण्ड
उपलब्ध नहीं है, दूसरा खण्ड फ्रांस की नेशनल लाइब्रेरी में उपलब्ध है |
यह कार्य मुद्रण
संस्कृति में एक महत्वपूर्ण तकनीकी
परिवर्तन साबित हुआ |
यही कारण है कि इसे 2001 में
यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में अंकित किया गया है |
प्रश्न :
वेलम (Vellum) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : चर्म –पत्र या जानवरों के चमड़े से बनी लेखन की सतह को वेलम कहा जाता है |
प्रश्न: प्लाटेन किसे कहते हैं ?
उत्तर : प्लाटेन एक
बोर्ड होता है, जो लेटर प्रेस छपाई में प्रयोग किया जाता था | जिसे कागज के पीछे दबाकर टाइप की छाप ली जाती थी
| पहले यह बोर्ड काठ (लकड़ी) का होता था , बाद में इस्पात का बनने लगा |
प्रश्न :
कम्पोजीटर किसे कहा जाता है ?
उत्तर : छपाई के लिए
इबारत तैयार करने वाला व्यक्ति कम्पोजीटर कहलाता है |
प्रश्न : गैली
से आप समझते हैं ?
उत्तर : गैली एक धातुई
फ्रेम होता है जिसमें टाइप बिछाकर इबारत बनाई जाती है |
प्रश्न : गाथा-गीत
(Ballad) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : लोकगीत का
ऐतिहासिक आख्यान, जिसे गाया या सुनाया जाता है गाथा-गीत (Ballad) कहलाता है |
प्रश्न : शराब
घर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : शराब घर (Tavern) वह जगह जहाँ लोग शराब पीने, खाने, दोस्तों से मिलने और बात विचार के लिए आते थे |
प्रश्न : सोलहवीं सदी में मुद्रक का कार्यस्थल कैसा दिखाई देता था | एक तसवीर के उदाहरण से बताएँ |
सोलहवीं सदी की एक तसवीर से पता चलता है कि सोलहवीं सदी में मुद्रक
का कार्यस्थल (एक मुद्रक की वर्कशॉप) कैसा दिखाई देता था |
सारे काम एक ही छत के
नीचे चल रहे है |
दाएँ छोर पर अगले
हिस्से में कम्पोजीटर काम कर रहे हैं |
बाएँ सिरे पर गैलीज
तैयार किए जा रहे हैं और धातुई अक्षरों पर स्याही लगाई जा रही है |
पृष्ठभूमि में
प्रिंटर्स प्रेस के पेंच कस रहे हैं और उन्हीं के पास प्रूफरीडर काम में जुटे हैं
|
बिल्कुल अगले भाग में तैयार माल पड़ा है | ये दो- दो पृष्ठ वाले छपे पन्ने हैं जिनकी बाइंडिंग होनी है |
अथवा
प्रिंट के प्रति तहेदिल से कृतज्ञ लूथर ने कहा,
“ मुद्रण ईश्वर की महानतम देन है, सबसे बड़ा तोहफा |” मार्टिन लूथर ने ऐसा क्यों
कहा ?
उत्तर : धर्म –सुधारक मार्टिन लूथर ने रोमन
कैथोलिक चर्च की कुरीतियों की आलोचना करते हुए अपनी पिच्चानवें स्थापनाएँ लिखी |
इसकी एक छपी प्रति विटेनबर्ग के गिरिजाघर के दरवाजे पर टाँगी गई | इसमें लूथर ने
चर्च को शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दी थी |
जल्द ही लूथर के लेख बड़ी तादाद में छपे और पढ़े
जाने लगे |
कुछ ही हफ्तों में न्यू –टेस्टामेंट के लूथर
के अनुवाद की 5000 प्रतियाँ बिक गई , और तीन महीने के अन्दर दूसरा संस्करण निकालना पड़ा
|
प्रिंट के प्रति तहेदिल से कृतज्ञ लूथर ने कहा, “ मुद्रण ईश्वर की महानतम देन है, सबसे बड़ा तोहफा |”
प्रश्न : प्रोटेस्टेंट धर्मसुधार से
आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : सोलहवीं सदी में यूरोप में रोमन
कैथोलिक चर्च में सुधार का आंदोलन प्रोटेस्टेंट धर्मसुधार कहलाता है | मार्टिन
लूथर प्रोटेस्टेंट सुधारकों में से एक थे | इस आंदोलन से कैथोलिक ईसाई मत के विरोध
में कई धाराएँ निकलीं |
प्रश्न : रोमन कैथोलिक चर्च ने सोलहवीं सदी के
मध्य में प्रतिबंधित किताबों की सूची रखनी शुरू कर दी थी इसके क्या कारण थे ?
उत्तर : मुद्रण और प्रतिरोध छपे हुए साहित्य
के बल पर कम शिक्षित लोग धर्म की अलग –अलग व्याख्याओं से परिचित हुए |
उदाहरण स्वरूप सोलहवीं सदी की इटली के एक
किसान मेनोकियो ने अपने इलाके में उपलब्ध किताबों को पढ़ना शुरू कर दिया था | उन
किताबों के आधार पर उसने बाइबिल के नए अर्थ लगाने शुरू कर दिए, और उसने ईश्वर और
सृष्टि के बारे में ऐसे विचार बनाए कि रोमन कैथोलिक चर्च उससे क्रुद्ध हो गया |
ऐसे धर्म विरोधी विचारों को दबाने के लिए रोमन
चर्च ने जब इन्क्विजिशन शुरू किया तो मेनोकियो को दो बार पकड़ा गया और आख़िरकार उसे
मौत की सजा दे दी गई |
धर्म के पास ऐसे पाठ और उस पर उठाए जा रहे
सवालों से परेशान रोमन चर्च ने प्रकाशकों और पुस्तक-विक्रेताओं पर पाबंदियाँ लगाई,
और 1558 ई० से प्रतिबंधित किताबों की सूची रखने लगे |
प्रश्न :
इन्क्विजिशन (धर्म-अदालत) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
सोलहवीं सदी में यूरोप में विधर्मियों की
शिनाख्त करने और सजा देने वाली रोमन कैथोलिक संस्था को इन्क्विजिशन
(धर्म-अदालत) कहा जाता था |
प्रश्न : धर्म
विरोधी को परिभाषित कीजिए | मध्यकाल में चर्च विधर्मियों या धर्म द्रोह के प्रति
सख्त क्यों था ?
उत्तर : इंसान
या विचार जो चर्च की मान्यताओं से असहमत हो उसे धर्मविरोधी कहा जाता है | मध्यकाल
में चर्च विधर्मियों या धर्म द्रोह के प्रति सख्त था , उसे लगता था कि लोगों की
आस्था, उनके विश्वास पर सिर्फ उसका अधिकार है, और उसकी बात ही अंतिम है |
प्रश्न : छपी किताब को लेकर इरैस्मस के विचारों पर टिप्पणी कीजिए ?
उत्तर : इरैस्मस एक लातिन
के विद्वान और कैथोलिक धर्म सुधारक था | जिसने कैथोलिक धर्म की ज्यादतियों की
आलोचना की थी |
उसने लूथर से भी एक
दूरी बनाकर रखी |
वह प्रिंट को लेकर
बहुत आशंकित था |
उसने अपनी पुस्तक
एडेजेज (1508) मुद्रित किताबों की आलोचना करते हुए लिखा कि ‘किताबें भिनभिनाती मक्खियों की तरह हैं दुनिया
का कौन सा कोना है,जहाँ ये नहीं पहुँच जाती ? हो सकता है कि जहाँ-तहाँ एकाध जानने
लायक चीजें भी बताएँ लेकिन इनका ज्यादा हिस्सा तो विद्वता के लिए हानिकारक ही है |
उसके अनुसार किताबें बेकार
ढेर हैं, क्योंकि अच्छी चीजों की अति भी हानिकारक ही है, इनसे बचना चाहिए |
इरैस्मस मानता था कि (मुद्रक) दुनिया को सिर्फ तुच्छ
चीजों से ही नहीं पाट रहे, बल्कि बकवास, बेवकूफ, सनसनीखेज, धर्मविरोधी, अज्ञानी और
षड्यंत्रकारी किताबें छापते हैं, और उनकी तादाद ऐसी है कि मूल्यवान साहित्य का
मूल्य ही नहीं रह जाता |’
उत्तर : इस सोलहवीं
सदी की तस्वीर में, छपाई का खौफ़ किस नाटकीयता से पेश किया जा रहा था, यह देखा जा
सकता है | इस बेहद दिलचस्प वुडकट (तख्ती-छाप) तसवीर में मुद्रण के आगमन को दुनिया
के अंत से जोड़ा गया है | मुद्रक के वर्कशॉप को मौत के नाच का मंच बताया गया है |
मुद्रक और उसके मजदूर कंकालों के नियंत्रण में हैं, और कंकाल उनसे मनचाही चीजे छपवाते हैं |
उत्तर : किसी धर्म का
एक उपसमूह समुदाय कहलाता है |
प्रश्न :
पंचांग किसे कहते हैं ?
उत्तर : चाँद,सूरज की
गति, ज्वार –भाटा के समय और लोगों के दैनिक जीवन से जुड़ी अहम जानकारियाँ देता
वार्षिक प्रकाशन पंचांग कहलाता है |
चैपबुक (गुटका ):
पाकेट बुक के आकार की किताबों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द | इन्हें आमतौर
पर फेरीवाले बेचते थे | ए सोलहवीं सदी की
मुद्रण क्रान्ति के समय से लोकप्रिय हुए |