https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-8100526939421437 SCHOOL OF GEOGRAPHY : Biosphere, Ecology, Ecological System, Types of Biomes and cycles in biosphere

Sunday, October 10, 2021

Biosphere, Ecology, Ecological System, Types of Biomes and cycles in biosphere

 अध्याय 15

पृथ्वी पर जीवन

कक्षा 11वीं (भूगोल)

जैव मंडल ( Biosphere )

पृथ्वी के पर्यावरण का वह भाग जहाँ पर जीवन पाया जाता है जैवमंडल कहलाता है | यह पृथ्वी के पर्यावरण के तीन मण्डलों स्थलमंडल, वायुमंडल तथा जलमंडल के मिलन स्थल होता है | इस मंडल में तीनों मंडलों के गुण विद्यमान होते है |  इसमें सभी जीवित जीव पाए जाते हैं |

जैवमंडल का महत्व

जैवमंडल हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है | क्योंकि पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवधारी जिसमें मानव सभी प्रकार के पौधे जन्तु तथा सभी प्रकार के सूक्ष्म जीव भी इसी मंडल में रहकर पारस्परिक क्रिया करतें है | जैव मंडल और इसके घटक अन्य प्राकृतिक घटक जैसे भूमि, जल व मिट्टी के साथ पारस्परिक क्रिया करते हैं | ये वायुमंडल के तत्वों जैसे तापमान, वर्षा, आर्द्रता व सूर्य के प्रकाश से प्रभावित होते है | पर्यावरण के जैविक घटकों का स्थल, जल तथा वायु के साथ पारस्परिक आदान–प्रदान होता रहता है | जो जीवों के जीवित रहने, बढ़ने व विकसित होने में सहायक होता है |

पारिस्थितिकी (Ecology)                    

            इकोलॉजी (Ecology) शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों Oikos (ओइकोस) तथा logy (लॉजी) से मिलकर बना है | जिसमें ‘ओइकोस’ का शाब्दिक अर्थ ‘घर’ तथा ‘लॉजी’ का अर्थ विज्ञान या अध्ययन है | इस प्रकार इकोलॉजी का शाब्दिक अर्थ पृथ्वी पर सभी प्रकार के जीवों (पौधों, मनुष्यों, जंतुओं तथा सूक्ष्म जीवों ) के घर के रूप में अध्ययन करना है |

जर्मन प्राणीशास्त्री अर्नस्ट हैक्कल (Ernst Haeckel) ने पारिस्थितिकी से संबंधित ओइकोलॉजी (Oekologie) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सन् 1869 में किया था | इसलिए ये पारिस्थितिकी के ज्ञाता के रूप में जाने जाते हैं |

जैवमंडल में रहने वाले सभी वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत के जीव  एक दूसरे के साथ अंतक्रिया करते हुए एक दूसरे कों प्रभावित करते है | इसके साथ ही ये अपने भौतिक जीवन कों भी प्रभावित करते है | पर्यावरण तथा जीवों के बीच होने वाली इन पारस्परिक क्रियाओं के अध्ययन कों ही पारिस्थितिकी (Ecology) कहते है |

पर्यावरण में पाए  जाने वाले जैविक घटकों (जीवधारियों) तथा अजैविक  घटकों (भौतिक पर्यावरण के तत्वों ) के  पारस्परिक सम्पर्क के अध्यन्न कों ही पारिस्थितिकी विज्ञान कहते है | अत: जीवधारियों का आपस में व उनका भौतिक पर्यावरण से अंतर्सबंधों का वैज्ञानिक अध्ययन ही पारिस्थितिकी है |

पारितंत्र (Ecological System)

किसी क्षेत्र विशेष में किसी विशेष समूह के जीवधारियों का अजैविक तत्वों  (भूमि, जल अथवा वायु ) से ऐसा अंतर्संबंध जिसमें उर्जा प्रवाह व पोषण श्रंखलाएं स्पष्ट रूप से समायोजित हो, उसे पारितंत्र कहा जाता है |

आवास (Habitat)

पारिस्थिति के संदर्भ में पर्यावरण के भौतिक तथा रासायनिक कारकों के योग को आवास कहते है |

 पारिस्थितिक अनुकूलन (Ecological Adaptation)

विभिन्न प्रकार के पर्यावरण तथा विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में भिन्न प्रकार के पारितंत्र पाए जाते है , जहाँ अलग-अलग प्रकार के पौधे व जीव-जन्तु विकास करते है | जिस पर्यावरण में रहकर जीव विकास की प्रक्रिया करते है उसी पर्यावरण के अभ्यस्त हो जाते है |  इस प्रक्रमण (प्रक्रिया ) कों पारिस्थितिक अनुकूलन कहते है |

पारितंत्र की संरचना

पारितंत्र की संरचना का संबंध परितंत्र में पाए जाने वाले पौधों तथा जंतुओं की प्रजातियों से होता है | इन पारितंत्र की संरचना कों समझने के लिए हमें इसके घटकों के बारे में जानना अनिवार्य है  | जिनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है |

पारितंत्र के घटक (कारक)  

पौधों और जंतुओं कों परितंत्र के घटक कहते है | जो अजैविक तथा जैविक घटकों के में वर्गीकृत किए जाते है |

अजैविक कारक  (Abiotic Factors )

इन्हें भौतिक कारक भी कहते है | क्योंकि ये भौतिक पर्यावरण का प्रतिनिधित्व करते हैं | इन कारकों में सूर्य का प्रकाश, वर्षा, तापमान, आर्द्रता तथा मृदा की स्थिति के साथ साथ अकार्बनिक तत्व जैसे कार्बन डाईऑक्साइड, जल, नाइट्रोजन, कैल्सियम, फॉस्फोरस तथा पोटाशियम आदि शामिल है |   

जैविक कारक (Biotic Factors)

जैविक कारकों या घटकों में सभी प्रकार के जीव शामिल किए जाते है | जिनमें उत्पादक, प्राथमिक उपभोक्ता, द्वितीयक उपभोक्ता तृतीयक उपभोक्ता तथा अपघटक शामिल है |

उत्पादक (Primary Producers)

पौधे प्राथमिक उत्पादक होते है | क्योंकि ये सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के द्वारा अपना भोजन स्वयं निर्मित (उत्पादन) करते है | इसलिए पौधों कों उत्पादक कहते है | पौधें अपना आहार स्वयं बनाते है इसलिए ये स्वपोषित भी कहलाते है | ये भूतल पर मानव सहित समस्त जंतुओं के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आहार एवं ऊर्जा की आपूर्ति के प्रमुख स्त्रोत है |

प्राथमिक उपभोक्ता (Primary Consumer)

पारितंत्र के वे घटक जो अपने आहार के लिए प्राथमिक उत्पादकों  (हरे पौधों) पर निर्भर रहते है | उन्हें प्राथमिक उपभोक्ता कहते है | सभी शाकाहारी जीव इस वर्ग में शामिल किए जाते है | जैसे हिरण, चूहें, गाय, बकरी तथा हाथी आदि |

द्वितीयक उपभोक्ता (Carnivores)

वे जीव जो मांसाहारी होते है उन्हें द्वितीयक उपभोक्ता कहा जाता है | ये जीव प्राथमिक उपभोक्ता (छोटे जीवों) कों अपने आहार के रूप में ग्रहण करते है | इस वर्ग में बाघ, शेर, साँप आदि जीवों कों शामिल लिया जा  सकता है |

तृतीयक उपभोक्ता (सर्वाहारी ) चरम स्तर के माँसाहारी (Top Carnivores)

वे मांसाहारी जीव जो अपने भोजन के लिए दूसरे मांसाहारी जीवों पर निर्भर होते है उन्हें  तृतीयक उपभोक्ता (सर्वाहारी ) चरम स्तर के माँसाहारी कहते है | जैसे बाज, नेवला, आदि |

अपघटक (Decomposers)

अपघटक वे सूक्ष्म जीव होते हैं जो मृत जीवों  पर निर्भर रहते है उन्हें अपघटक या वियोजक कहा जाता है | ये जीव मृत पौधों, जन्तुओं तथा जैविक पदार्थों  कों अपघटित करते है और उन्हें जटिल कार्बनिक पदार्थों से सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं | इस वर्ग में सूक्ष्म जीव जैसे बैक्टीरिया तथा कवक (फंगस) शामिल किए जाते हैं |

जीवोम या बायोम के प्रकार (Types of Biomes )

वन बायोम

मरुस्थलीय बायोम

घासभूमि बायोम

जलीय बायोम

उच्च प्रदेशीय बायोम

जल चक्र

जल एक पुनः पूर्ति योग्य संसाधन है | जल एक चक्र के रूप में महासागर से धरातल तथा धरातल से महासागर तक पहुँचता है | जल इस प्रकार चक्र के द्वारा पृथ्वी पर, पृथ्वी के नीचे व वायुमंडल में पृथ्वी के ऊपर संचलन करता है | जल के इसी संचलन कों जलीय चक्र या जल चक्र कहते है | जलीय चक्र पृथ्वी के जलमंडल में विभिन्न रूपों अर्थात गैस, तरल (द्रव) तथा ठोस के रूप में जल का परिसंचरण है | इसका संबंध महासागरों, वायुमंडल, भूपृष्ठ, अध:स्तल और जीवों के बीच जल के सतत आदान प्रदान से है |  जल चक्र कों हम  निम्न प्रकार से समझ सकते है |

महासागरों में उपस्थित जल वाष्पीकरण की प्रक्रिया के द्वारा जलवाष्प के रूप में वायुमंडल में पहुँचता है | वायु के ठंडा होने पर ये जलवाष्प संघनित होकर  आर्द्रताग्राही कणों पर बूंदों के रूप में जमने लगती है जिससे बादलों का निर्माण होता है | बादलों में उपस्थित जल वर्षण के विभिन्न रूपों (वर्षा, ओला वृष्टि, हिमपात आदि  के रूप ) में पृथ्वी के धरातल पर पहुँचता है |

            इनमें से अधिकांश जल वाही जल के रूप में नदियों के द्वारा वापस महासागरों में आकार मिल जाता है | जल का एक हिस्सा हिम के रूप में जमा होता है वो भी हिम के पिघलने पर नदियों के द्वारा महासागरों में आ जाता है | कुछ जल भूमिगत (पृथ्वी के सतह के नीचे)  कुछ गहराई में जाकर जमा हो जाता है | उसमें से कुछ जल भूमिगत नदियों के द्वारा महासागरों में या अन्य जल स्त्रोतों तक पहुँच जाता है |

            नदियों हिमनदियों से जल पुनः वाष्पीकृत होता है और वायुमंडल में पहुँच जाता है | भूमिगत जल भी पेड़ पौधों के द्वारा  अवशोषित किया जाता है जिसे बाद में इनके द्वारा वाष्पोत्सर्जन की क्रिया के द्वारा वायुमंडल में छोड दिया जाता है |

इस प्रकार यह चक्र चलता रहता है और जल चक्र के द्वारा महासागर से धरातल तथा धरातल से महासागर तक पहुँचता है |

कार्बन चक्र

 कार्बन जैवमंडल में पाए जाने वाले  समस्त जीवन का आधार है और समस्त कार्बन यौगिक का मूल, तत्व है | कार्बन चक्र, कार्बनडाइऑक्साइड का परिवर्तित रूप है जो पोधों में प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा कार्बनडाइऑक्साइड का यौगिककरण आरम्भ होता है | इस प्रक्रिया से काबोहाईड्रेट्स व ग्लूकोस बनता है, जो कार्बनिक यौगिक : जैसे –स्टार्च, सैल्यूलोस, सूक्रोज के रूप में पौधों में संचित हो जाता है | काबोहाईड्रेट्स का कुछ भाग सीधे पौधों की जैविक प्रक्रिया में प्रयुक्त होते है और शेष पौधों के उत्तकों में  संचित हो जाते हैं | पौधे या तो शाकाहारी पौधों का जीवन बनते है या सूक्ष्म जीवों द्वारा विघटित हो जाते है | शाकाहारी उपभोग किए गए काबोहाईड्रेट्स कों कार्बनडाइऑक्साइड में परिवर्तित करते हैं और श्वसन क्रिया द्वारा वायुमंडल में छोडते हैं | इनमें शेष काबोहाईड्रेट्स का जंतुओं के मरने पर सूक्ष्म जीव अपघटन करते हैं | सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा काबोहाईड्रेट्स ऑक्सीजन प्रक्रिया द्वारा कार्बनडाइऑक्साइड में परिवर्तित होकर पुनः वायुमंडल में आ जाती है|

ऑक्सीजन चक्र

ऑक्सीजन  जीवन के अनिवार्य है, क्योंकि हम साँस  लेते समय ऑक्सीजन का प्रयोग करते हैं | यह प्रकाश संश्लेषण का मुख्य उत्पाद है| ऑक्सीजन का चक्रण बहुत ही जटिल प्रक्रिया है क्योंकि यह अनेक रासायनिक तत्वों तथा मिश्रणों के रूप में होता है | यह अन्य कई के साथ मिलकर ऑक्साइड का निर्माण कर्ता है | जल अणुओं (H2O)के विघटन से ऑक्सीजन उत्पन्न होती है और पौधों की वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया के दौरान भी यह वायुमंडल में पहुँचती है|

 

नाइट्रोजन चक्र

नाइट्रोजन हमारे वायुमंडल की संरचना का प्रमुख घटक है| वायुमंडलीय गैसों के 78.08 प्रतिशत भाग में नाइट्रोजन ही है | विभिन्न कार्बनिक यौगिक : जैसे – एमिनो एसिड, न्यूक्लिक एसिड, विटामिन व वर्णक (Pigment) आदि में यह एक महत्वपूर्ण घटक है | नाइट्रोजन चक्र को वायुमंडलीय नाइट्रोजन के मिट्टी ,जल,वायु तथा जीवों के बीच निरंतर चक्रण तथा वायुमंडल में इसकी वापसी के रूप परिभाषित किया जाता है | इसे प्रत्यक्ष गैसीय रूप में मृदा जीवाणु तथा ब्लू ग्रीन एल्गी जैसे जीव ही ग्रहण कर सकते हैं | सामान्यत: इसे यौगिकीकरण (Fixation) द्वारा ही प्रयोग किया जाता है | नाइट्रोजन का 90 प्रतिशत भाग जैविक है जिसे यौगिकीकरण द्वारा ही ग्रहण कर सकते हैं | स्वतंत्र नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत मिट्टी के सूक्ष्म जीवाणुओं की क्रिया व संबंधित पौधों की जड़ें व रंध्र वाली मृदा है, जहाँ से यह वायुमंडल में पहुंचती है | वायुमंडल में भी बिजली चमकने (Lighting) व कोसमिक रेडियेशन (Cosmic Radiation) द्वारा नाइट्रोजन का यौगिकीकरण होता है | वायुमंडलीय नाइट्रोजन के यौगिक रूप में उपलब्ध होने से हरे पौधों में इसका स्वांगीकरण (Assimilation ) होता है | पौधों कों शाकाहारी जीव खाते है जिससे नाइट्रोजन का कुछ भाग उनके शरीर में चला जाता है | इसके बाद मृत पौधों तथा जीवों के नाइट्रोजनी अपशिष्ट मिट्टी में उपस्थित बैक्टीरिया द्वारा नाइट्रेट परिवर्तित हो जाते है | कुछ जीवाणु नाइट्राइट को नाइट्रेट में परिवर्तित करने की क्षमता रखते हैं व पुनः हरे पौधों द्वारा नाइट्रोजन-यौगिकीकरण हो जाता है | कुछ अन्य प्रकार के जीवाणु इन नाइट्रेट कों पुन स्वतंत्र नाइट्रोजन में परिवार्तित करने में सक्षम होते हैं और इस प्रक्रिया को डी-नाइट्रीकरण (De-nitrification) कहते है |

प्रश्न : निम्नलिखित में से कौन सा जैवमंडल में सम्मलित है ?

अ)    केवल पौधे

आ)  केवल प्राणी 

इ)       सभी जैव तथा अजैव जीव

ई)       सभी जीवित जीव 

उत्तर : सभी जीवित जीव 

प्रश्न : उष्णकटिबंधीय घास के मैदान निम्न में से किस नाम से जाने जाते है ?

(क).प्रेयरी

(ख).                        स्टैपी

(ग). सवाना

(घ). इनमें से कोई नहीं

उत्तर :  सवाना

प्रश्न : चट्टानों में पाए जाने वाले लोहांश के साथ ऑक्सीजन मिलकर निम्नलिखित में से क्या बनाती है ?

(क).आयरन कार्बोनेट

(ख).                        आयरन ऑक्साइड

(ग). आयरन नाइट्राइट

(घ). आयरन  सल्फेट

उत्तर :  आयरन ऑक्साइड

प्रश्न : प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के दौरान, प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाई ऑक्साइड जल के साथ मिलकर क्या बनाती है ?

(क).प्रोटीन

(ख).                        कार्बोहाइड्रेट्स

(ग). एमिनो एसिड

(घ). विटामिन

उत्तर : कार्बोहाइड्रेट्स

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