प्रश्न 1 वायुमंडल किसे कहते हैं ?
उत्तर : वायुमंडल विभिन्न गैसों का मिश्रण है जो पृथ्वी को चारों ओर से ढके हुए है |
प्रश्न 2 वायुमंडल के द्रव्यमान का 99 प्रतिशत भाग कितने किलोमीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है ?
उत्तर : 32 किलोमीटर
प्रश्न 3 ऑक्सीजन गैस वायुमंडल में कितनी ऊँचाई तक पाई जाती है ?
उत्तर : 120 किलोमीटर
प्रश्न 4 जलवाष्प वायुमंडल में कितनी ऊँचाई तक पाई जाती है ?
उत्तर : 90 किलोमीटर
प्रश्न 5 कार्बन डाई ऑक्साइड गैस वायुमंडल में कितनी ऊँचाई तक पाई जाती है ?
उत्तर : 90 किलोमीटर
प्रश्न 6 ओज़ोन गैस वायुमंडल में कहाँ पाई जाती है ?
उत्तर : ओज़ोन गैस वायुमंडल में समतापम मंडल में पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किलोमीटर के बीच पाई जाती है |
प्रश्न 7 ओज़ोन गैस पर संक्षिप्त नोट लिखों |
उत्तर : ओज़ोन गैस वायुमंडल में समतापम मंडल में पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किलोमीटर के बीच पाई जाती है | यह वायुमंडल का महत्वपूर्ण घटक है | इस गैस कि परत एक फिल्टर की तरह कार्य करती है | यह सूर्य से निकलने वाली पैराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है और उनको पृथ्वी तक नहीं पहुँचने देती | जिससे पृथ्वी का तापमान अधिक नहीं हो पाता | ये पैराबैंगनी किरणों के हानिकारक प्रभावों से मानव तथा जीवों को बचाती है |
प्रश्न 8 वायुमंडल के संघटन की व्याख्या करें |
अथवा
वायुमंडल में पाई जाने वाली विभिन्न गैसों, जलवाष्प तथा धूलकणों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए |
उत्तर : वायुमंडल विभिन्न गैसों का मिश्रण है जो पृथ्वी को चारों ओर से ढके हुए है | इसके संघटन में विभिन्न प्रकार की गैसें, जैसे नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन, कार्बन डाई ऑक्साइड, ओजोन, हीलियम, हाइड्रोजन, निओन, फ़्रीओन, क्रेप्टो, जेनन आदि शमिल हैं | इनके अलावा वायुमंडल में जलवाष्प तथा धूलकण भी पायें जाते हैं | जिनकी संक्षिप्त व्याख्या निम्नलिखित है |
- नाइट्रोजन गैस : इस गैस की मात्रा वायुमंडल में सबसे अधिक पाई जाती है | जो कि वायुमंडल के कुल द्रव्यमान का 78.8 प्रतिशत है | यह गैसे आसानी से अन्य तत्वों के साथ रासायनिक अभिक्रिया नहीं करती | यह मृदा में स्थिर हो जाती है | इस गैस का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह वस्तुओं को तेजी से जलने से बचाती है | नाइट्रोजन पेड़ –पौधों में प्रोटीन का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है | नाइट्रोजन गैस के कारण ही वायुदाब, पवनों की शक्ति तथा प्रकाश के परावर्तन का पता चलता है |
- ऑक्सीजन गैस : यह गैस जीवन दायनी गैस है | क्योंकि इसके बिना हम साँस नहीं ले सकते | ऑक्सीजन वायुमंडल के कुल द्रव्यमान का 20.95 भाग है | यह गैस वायुमंडल की निचली परतों में पाई जाती है | वायुमंडल में 120 किलोमीटर की ऊँचाई के बाद ऑक्सीजन गैस की मात्रा नगण्य हो जाती है | यह गैस ईंधन को जलाने के लिए आवश्यक है |
- आर्गन गैस : यह वायुमंडल में तीसरी सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली गैस है | जो वायुमंडल के कुल द्रव्यमान का 0.93 प्रतिशत है |
- कार्बन डाई ऑक्साइड गैस: यह गैस वायुमंडल में केवल यह गैस वायुमंडल वायुमंडल के कुल आयतन का केवल 0.036 भाग ही है | जो वायुमंडल में 90 किलोमीटर की ऊँचाई तक पाई जाती है | यह एक भारी गैस है और वायुमंडल की निचली परतों में पाई जाती है | इसका अधिकांश भाग पृथ्वी कि सतह के निकट ही होता है | कम मात्रा के होने के बावजूद भी यह एक महत्वपूर्ण गैस है | क्योंकि पेड़-पौधों के लिए प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए अनिवार्य गैस है | इसके अलावा यह लघु तरंगदैधर्य वाली सौर विकिरण के लिए पारगम्य है लेकिन दीर्घ तरंगदैधर्य वाली पार्थिव विकिरण के लिए अपारगम्य है | अत: यह गैस ग्रीन हाउस प्रभाव (हरित गृह प्रभाव) के लिए उत्तरदायी है | और वायुमंडल की निचली परतों को गर्म रखती है | जैव ईंधन के अधिक जलाए जाने के कारण इस गैस की मात्रा तेजी से बढ़ रही है |
- ओजोन गैस : ओज़ोन गैस वायुमंडल में समतापम मंडल में पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किलोमीटर के बीच पाई जाती है | यह वायुमंडल का महत्वपूर्ण घटक है | इस गैस कि परत एक फिल्टर की तरह कार्य करती है | यह सूर्य से निकलने वाली पैराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है और उनको पृथ्वी तक नहीं पहुँचने देती | जिससे पृथ्वी का तापमान अधिक नहीं हो पाता | ये पैराबैंगनी किरणों के हानिकारक प्रभावों से मानव तथा जीवों को बचाती है |
- हाइड्रोजन गैस : यह वायुमंडल में पाई जाने वाली सबसे हल्की गैसों में से एक है | जो वायुमंडल की ऊपरी परतों में पाई जाती है | यह वायुमंडल में बहुत ही कम मात्रा में विद्यमान है | यह बहुत ही ज्वलनशील गैस है |
- हीलियम गैस : यह वायुमंडल में पाई जाने वाली सबसे हल्की गैसों में से एक है | जो वायुमंडल की ऊपरी परतों में पाई जाती है |
- अन्य गैसें : उपरोक्त गैसों के अलावा निओन, फ़्रीओन, क्रेप्टो, तथा जेनन जैसी अन्य गैसें भी वायुमंडल में उपस्थित है|
- जलवाष्प : जलवाष्प वायुमंडल में उपस्थित एक परिवर्तनीय तत्व है | जो ऊँचाई के साथ –साथ घटती है | वायुमंडल में अधिकतम वायुमंडल में अधिकतम यह वायु के द्रव्यमान का 4 प्रतिशत तक होती है | ठंडे ध्रुवीय क्षेत्रो में तथा गर्म रेगिस्तानों जैसे शुष्क प्रदेशों में यह बहुत कम होती है जबकि आर्द्र और उष्ण प्रदेशों में यह अधिक होती है | विषुवत वृत्त से ध्रुवों की ओर जाने पर जलवाष्प की मात्रा में कमी आने लगती है |यह सूर्य से आने वाले ताप के कुछ भाग को अवशोषित करती है तथा पृथ्वी से उत्पन्न ताप को संग्रहित करती है | यह पृथ्वी के वायुमंडल को न टो अधिक गर्म होने देती और न ही अधिक ठंडा इस प्रकार यह पृथ्वी के लिए कम्बल का काम करती है |
- धूलकण : विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त वायुमंडल में उपस्थित छोटे –छोटे कण जैसे समुद्री नमक, महीन मिट्टी, धुएँ की कालिमा, राख, पराग, उल्काओं के टूटे हुए कण आदि को सम्मलित रूप से धूलकण कहा जाता है | धूलकण प्राय: वायुमंडल के निचले भाग में ही मौजूद होते है | लेकिन कभी कभार संवहनीय धाराओं के द्वारा ये वायुमंडल में काफी ऊँचाई तक पहुँच जाते है | धूलकण आर्द्र्ताग्राही केन्द्र की तरह काम करते हैं इनके चारों ओर जलवाष्प की बूंदे संघनित हो जाती है और मेघों (बादलों) का निर्माण करती है | आकाश का नीला रंग भी धूलकणों के कारण ही दिखाई देता है | सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय आकाश का नारंगी तथा लाल रंग का दिखना इन्हीं के कारण होता है |