जनांकिकीय चक्र
जनसंख्या का विकास एक चक्र के रूप में होता है
| ऐसा चक्र जिसमें किसी क्षेत्र का समाज ग्रामीण, खेतिहर और अशिक्षित अवस्थाओं से
उन्नति करता हुआ नगरीय, औद्योगिक और शिक्षित बनता है तो उस क्षेत्र की जनसंख्या
में भी उच्च जन्म दर से निम्न जन्म दर और उच्च
मृत्यु दर से निम्न मृत्यु दर में परिवर्तन
हो जाता है | यह चक्र इन परिवर्तनों के दौरान अनेक अवस्थाओं से गुजरता है |
इन अवस्थाओं कों ही सामूहिक रूप से जनांकिकीय चक्र कहते हैं |
जनसंख्या का जनांकिकीय संक्रमण
सिद्धांत
जनांकिकीय संक्रमण अथवा जनसांख्यकीय संक्रमण
सिद्धांत एक जनसंख्या संबंधी सिद्धांत है | जो किसी स्थान की जनसंख्या के आँकड़ों
के वर्णन के साथ-साथ उस स्थान की भविष्य की जनसंख्या के पूर्व अनुमान एक लिए
प्रयोग किया ज सकता है |
इस
सिद्धांत का प्रतिपादन डब्ल्यू० एम० थाम्पसन ने सन् 1929
में किया और एल० डब्ल्यू० नेटोस्टीन
ने सन् 1945 में किया | इन्होने यूरोप,ऑस्ट्रेलिया
और अमेरिका में प्रजनन दर (जन्म दर ) और मृत्यु दर की प्रवृति के अनुभवों के आधार
पर यह सिद्धांत दिया था |
यह सिद्धांत उच्च प्रजनन दर (जन्म दर) तथा मृत्यु दर से न्यून जन्म दर (प्रजनन दर ) से न्यून मृत्यु दर
के जनसंख्या परिवर्तन कों दर्शाता है | विद्वान इस सिद्धांत के चक्र कों जनसंख्या
चक्र, जनांकिकीय चक्र या जनसंख्या संक्रमण भी कहते है | इस सिद्धांत के अनुसार
जनसंख्या संक्रमण के चक्र की विभिन्न अवस्थाओं से होते हुए कोई समाज ग्रामीण,
खेतिहर और अशिक्षित अवस्थाओं से उन्नति करता हुआ नगरीय, औद्योगिक और शिक्षित (साक्षर)
बनता है |
जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत के अनुसार
जनसंख्या के संक्रमण की अवस्थायें
जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत के अनुसार
जनसंख्या के संक्रमण की तीन अवस्थायें हैं | जिनका वर्णन निम्नलिखित है |
1) प्रथम
अवस्था
इस अवस्था में उच्च प्रजननशीलता
(जन्म दर) तथा उच्च मृत्यता (मृत्यु दर ) होती है | इसका कारण यह है कि लोग महामारियों
तथा भोजन की अनिश्चित आपूर्ति से होने वाली मृत्युओं की क्षति पूर्ति अधिक सन्तान
पैदा करके करते हैं | जनसंख्या वृद्धि धीमी गति से होती है | अधिकांश लोग खेती में
कार्यरत रहते है | इस अवस्था में बड़े परिवारों कों परिसम्पति माना जाता है | जीवन
प्रत्याशा निम्न होती है | अधिकांश लोग अशिक्षित होते हैं | प्रौद्योगिकी का स्तर
निम्न होता है | 200 वर्ष पूर्व विश्व के सभी
देश इसी अवस्था में थे |
2) द्वितीय
अवस्था
इस अवस्था के प्रारम्भ में प्रजननशीलता ऊँची
बनी रहती है | परन्तु जैसे - जैसे समय बीतता है यह घटती जाती है | इस अवस्था
में मृत्यु दर कम रहती है | स्वास्थ्य
संबंधी सेवाओं तथा स्वच्छता में सुधार के कारण मृत्यु दर में कमी आने लगती है |
उच्च जन्म दर तथा निम्न मृत्यु दर के कारण जनसंख्या में वृद्धि तेजी से होने लगती
है | यह स्थिति जनसंख्या विस्फोट कहलाती है |
3) तृतीय
अवस्था (अंतिम अवस्था)
यह जनसंख्या संक्रमण की अंतिम अवस्था कहलाती है
| इस अवस्था में जन्म दर और मृत्यु दर दोनों ही बहुत अधिक कम हो जाते हैं | फलस्वरूप
या तो जनसंख्या स्थिर हो जाती है या मंद गति से बढती है | लोगों का तकनीकी ज्ञान (प्रौद्योगिकी
स्तर) उच्च स्तर का होता है | ऐसी अवस्था में जनसंख्या विचार पूर्वक परिवार के
आकार कों नियंत्रित करती है |
इन तीनों अवस्थाओं कों निम्न चित्र द्वारा
समझा ज सकता है |
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