Tuesday, July 27, 2021

World Population (Trends in Growth, trends in double the population, problems related to population growth

 विश्व में जनसंख्या वृद्धि की प्रवर्तियाँ  (आदि काल से लेकर अब तक विश्व की जनसंख्या की प्रवर्तियाँ)

पृथ्वी पर 700 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं | विश्व की जनसंख्या कों इस विशाल आकार में पहुँचने में शताब्दियाँ लगी हैं | आरम्भिक कालों में विश्व की जनसंख्या धीरे-धीरे बढ़ी है | पिछले कुछ वर्षों के दौरान ही जनसंख्या आश्चर्यजनक ररूप से बढ़ी है | आदिकाल से लेकर अब तक विश्व की जनसंख्या वृद्धि की प्रवर्तियों कों निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा समझा ज सकता है |

1.       लगभग 8000 से 12000 वर्ष पूर्व कृषि के उद्गम व आरम्भ के बाद जनसंख्या का आकार बहुत छोटा था | मौते तौर पर जनसंख्या 800 लाख के आस पास थी |

2.       ईसा की पहली शताब्दी में जनसंख्या करोड़ से कम थी |

3.       16वीं और 17वीं शताब्दी में बदले विश्व व्यापार ने जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के लिए मंच तैयार किया |  

4.       औद्योगिक क्रान्ति केन उदय के समय 1600 ईस्वीं के आस पास जनसंख्या लगभग 50 करोड़ थी |

5.       औद्योगिक क्रान्ति के बाद विश्व जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि हुई | सन् 1830 में  जनसंख्या 1  अरब के आसपास होंगे थी |जो सन् 1930 अर्थात सौ वर्षों  में दोगुनी हो गई |

6.       केवल बीसवीं शताब्दी में यह 4 गुनी बढ़ गई | अब एक अनुमान के अनुसार  8 करोड़ लोग पिछले वर्ष की तुलना में अधिक बढ़ जाते है | 

विश्व में जनसंख्या के दोगुणा होने की अवधि की प्रवर्तियाँ

मानव जनसंख्या को शुरू में एक करोड़ होने में 10 लाख से भी अधिक वर्ष लग गए थे | लेकिन वर्तमान समय में यह  8 अरब के आस-पास हो गई है | जो दर्शाता है कि विश्व जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है | अपनी पिछली जनसंख्या के मुकाबले दोगुनी होने का समय तेजी से घटता ज रहा है | विश्व की जनसंख्या के दोगुणा होने की प्रवर्तियों को निम्न तथ्यों से समझा ज सकता है |

A.     प्रारम्भिक काल में जनसंख्या बहुत धीमी गति से बढ़ी | प्रारम्भिक एक करोड़ होने में  10 लाख से भी अधिक वर्ष लग गए |

B.     सन् 1650 के आस - पास जनसंख्या 50 करोड़ थी | जो सन् 1850 में 100 करोड़ हो गई | 50 करोड़ जनसंख्या बढ़ने में लगभग 150 वर्ष लग गए |

C.     सन् 1850 में जनसंख्या 100 करोड़ (एक अरब)  से बढ़कर सन् 1930 में यह 200 करोड़ (दो अरब)  जनसंख्या हो गई |  केवल 80 वर्षों में जनसंख्या दोगुनी हो गई |

D.     अगली बार दोगुनी होने में केवल 45 वर्ष ही लगे | 1930 मेंजनसंख्या 200 करोड़ थी जो 1975 में बढ़कर 400 करोड़ हो गई |  यह स्थिति जनसंख्या विस्फोट की स्थिति कों दर्शाती है |

E.      विद्वानों के अनुमान के अनुसार विश्व की जनसंख्या जो 1975 में 400 करोड़ थी केवल 37 वर्षों में ही सन् 2012 के आस पास  800 करोड़ (8 अरब ) हो गई है |

उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट होता है कि विश्व में जनसंख्या के दोगुने होने की अवधि तेजी से कम हो रही है | 

जनसंख्या वृद्धि के स्थानिक प्रारूप

विश्व के विभिन्न महाद्वीपों और प्रदेशों में जनसंख्या वृद्धि की दर में अत्यधिक असमानता देखने कों मिलती है | विकसित देशों में वृद्धि की दर विकासशील देशों की तुलना में कम है | सन् 2015 के विश्व की जनसंख्या के आकडों के अनुसार विश्व में जनसंख्या परिवर्तन की दर 1.2 प्रतिशत वार्षिक है | जो निम्न प्रतीत होती है | लेकिन इस वृद्धि दर से भी विशाल जनसंख्या में बहुत अधिक वृद्धि होती है | विश्व में जनसंख्या के स्थानिक प्रारूप कों निम्न प्रकार से समझ सकते हैं |

1)      उच्च जनसंख्या वृद्धि वाले क्षेत्र

इस वर्ग में वे राष्ट्र शामिल हैं जिनकी जनसंख्या वृद्धि दर 2 से  2.9 प्रतिशत वार्षिक होती है | इस वर्ग में अफ्रीका महाद्वीप के अधिकांश देश शामिल है | अफ्रीका महाद्वीप की औसत वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर 2.6 प्रतिशत है |

2)      मध्यम जनसंख्या वृद्धि वाले क्षेत्र

इस वर्ग में 1से 1.9 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि वाले देश शामिल किए जाते है | इन देशों में दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप व  केरेबियन द्वीप समूह के देश, तथा एशिया के अधिकांश देश आते है |  

3)      निम्न जनसंख्या वृद्धि वाले क्षेत्र

जिन देशों की वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर 1 प्रतिशत से भी कम रहती है | वे निम्न जनसंख्या वृद्धि वाले देश कहलाते हैं | इन देशों में यूरोप के अधिकांश देश तथा उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा शामिल हैं |  

जनसंख्या वृद्धि और आर्थिक विकास में संबंध

किसी भी देश की जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ वहाँ प्राकृतिक संसाधनों की माँग भी बढ़ने लगती है | साथ ही रोजगार के अवसरों की भी आवश्यकता होती है | यदि जनसंख्या के बढ़ने से लोगों की आय कम होने लगती है तो देश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है | देश का विकास अवरूध हो जाता है | जीवन स्तर गिरने लगता है |

            इसके विपरीत जनसंख्या वृद्धि होने के कारण संसाधनों का सही उपयोग होता है | तो जनसंख्या वृद्धि अनुकूल प्रभाव प्रदान करती है | क्योंकि जनसंख्या के द्वारा संसाधनों का सही उपयोग होने पर रोजगार के साधन बढते हैं | लोगों की आर्थिक उन्नति होने लगती है | देश का विकास तेज गति से होने लगता है | लोगों के जीवन स्तर में बढोतरी होती है |

जनसंख्या वृद्धि के कारण उत्पन्न समस्याएँ

जनसंख्या वृद्धि के कारण निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न हो सकती है |

1)      संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है |

2)      जनसंख्या के भरण-पोषण में कठिनाई उत्पन्न होने लगती है |

3)      विकास की गति धीरे हो जाती है |

4)      रोजगार के अवसरों की कमी होती है | इससे आश्रित जनसंख्या बढ़ने लगती है |

जनसंख्या ह्रास (कमी) से उत्पन्न समस्याएँ

जनसंख्या में कमी (ह्रास) के कारण निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न हो सकती है |

1)      संसाधनों का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है |

2)      समाज की आधारभूत संरचना अस्थिर होने लगती है |

3)      देश का भविष्य चिंता और निराशा में डूबने लगता है |

                4)    हमेशा असुक्षा की भावना बनी रहती है |

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