विश्व में जनसंख्या वृद्धि की प्रवर्तियाँ (आदि काल से लेकर अब तक विश्व की जनसंख्या की प्रवर्तियाँ)
पृथ्वी
पर 700 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं | विश्व की जनसंख्या कों इस विशाल आकार में
पहुँचने में शताब्दियाँ लगी हैं | आरम्भिक कालों में विश्व की जनसंख्या धीरे-धीरे
बढ़ी है | पिछले कुछ वर्षों के दौरान ही जनसंख्या आश्चर्यजनक ररूप से बढ़ी है |
आदिकाल से लेकर अब तक विश्व की जनसंख्या वृद्धि की प्रवर्तियों कों निम्नलिखित
बिंदुओं द्वारा समझा ज सकता है |
1. लगभग
8000 से 12000 वर्ष पूर्व कृषि के उद्गम व आरम्भ के बाद
जनसंख्या का आकार बहुत छोटा था | मौते तौर पर जनसंख्या 800
लाख के आस पास थी |
2. ईसा
की पहली शताब्दी में जनसंख्या करोड़ से कम थी |
3. 16वीं और 17वीं शताब्दी में बदले विश्व व्यापार ने
जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के लिए मंच तैयार किया |
4. औद्योगिक
क्रान्ति केन उदय के समय 1600 ईस्वीं के आस पास जनसंख्या
लगभग 50 करोड़ थी |
5. औद्योगिक
क्रान्ति के बाद विश्व जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि हुई | सन् 1830
में जनसंख्या 1 अरब के आसपास होंगे थी |जो सन् 1930 अर्थात सौ वर्षों में दोगुनी हो
गई |
6. केवल
बीसवीं शताब्दी में यह 4 गुनी बढ़ गई | अब एक अनुमान के
अनुसार 8 करोड़ लोग
पिछले वर्ष की तुलना में अधिक बढ़ जाते है |
विश्व में जनसंख्या के दोगुणा होने
की अवधि की प्रवर्तियाँ
मानव जनसंख्या को शुरू में एक करोड़ होने में 10 लाख से भी अधिक वर्ष लग गए थे | लेकिन वर्तमान समय में यह 8 अरब के आस-पास हो गई है
| जो दर्शाता है कि विश्व जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है | अपनी पिछली
जनसंख्या के मुकाबले दोगुनी होने का समय तेजी से घटता ज रहा है | विश्व की
जनसंख्या के दोगुणा होने की प्रवर्तियों को निम्न तथ्यों से समझा ज सकता है |
A.
प्रारम्भिक काल में जनसंख्या
बहुत धीमी गति से बढ़ी | प्रारम्भिक एक करोड़ होने में 10 लाख से भी
अधिक वर्ष लग गए |
B.
सन् 1650 के आस - पास जनसंख्या 50 करोड़ थी | जो सन् 1850 में 100 करोड़ हो गई | 50 करोड़
जनसंख्या बढ़ने में लगभग 150 वर्ष लग गए |
C.
सन् 1850 में जनसंख्या 100 करोड़ (एक अरब) से बढ़कर सन् 1930 में यह 200 करोड़ (दो अरब) जनसंख्या हो गई | केवल 80 वर्षों में
जनसंख्या दोगुनी हो गई |
D.
अगली बार दोगुनी होने में
केवल 45 वर्ष ही लगे | 1930 मेंजनसंख्या 200 करोड़ थी जो 1975 में बढ़कर 400
करोड़ हो गई | यह स्थिति जनसंख्या विस्फोट
की स्थिति कों दर्शाती है |
E.
विद्वानों के अनुमान के
अनुसार विश्व की जनसंख्या जो 1975 में 400 करोड़ थी केवल 37 वर्षों में ही सन् 2012 के आस पास 800 करोड़ (8 अरब ) हो गई है |
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट होता है कि विश्व
में जनसंख्या के दोगुने होने की अवधि तेजी से कम हो रही है |
जनसंख्या वृद्धि के स्थानिक प्रारूप
विश्व के विभिन्न महाद्वीपों
और प्रदेशों में जनसंख्या वृद्धि की दर में अत्यधिक असमानता देखने कों मिलती है |
विकसित देशों में वृद्धि की दर विकासशील देशों की तुलना में कम है | सन् 2015 के
विश्व की जनसंख्या के आकडों के अनुसार विश्व में जनसंख्या परिवर्तन की दर 1.2
प्रतिशत वार्षिक है | जो निम्न प्रतीत होती है | लेकिन इस वृद्धि दर
से भी विशाल जनसंख्या में बहुत अधिक वृद्धि होती है | विश्व में जनसंख्या के
स्थानिक प्रारूप कों निम्न प्रकार से समझ सकते हैं |
1)
उच्च जनसंख्या वृद्धि वाले
क्षेत्र
इस
वर्ग में वे राष्ट्र शामिल हैं जिनकी जनसंख्या वृद्धि दर 2 से 2.9
प्रतिशत वार्षिक होती है | इस वर्ग में अफ्रीका महाद्वीप के अधिकांश देश शामिल है
| अफ्रीका महाद्वीप की औसत वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर 2.6
प्रतिशत है |
2) मध्यम जनसंख्या वृद्धि वाले क्षेत्र
इस
वर्ग में 1से 1.9 प्रतिशत
वार्षिक वृद्धि वाले देश शामिल किए जाते है | इन देशों में दक्षिणी अमेरिका
महाद्वीप व केरेबियन द्वीप समूह के देश, तथा
एशिया के अधिकांश देश आते है |
3) निम्न जनसंख्या वृद्धि वाले क्षेत्र
जिन
देशों की वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर 1 प्रतिशत से
भी कम रहती है | वे निम्न जनसंख्या वृद्धि वाले देश कहलाते हैं | इन देशों में
यूरोप के अधिकांश देश तथा उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के संयुक्त राज्य अमेरिका तथा
कनाडा शामिल हैं |
जनसंख्या वृद्धि और आर्थिक विकास
में संबंध
किसी भी देश की जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ वहाँ
प्राकृतिक संसाधनों की माँग भी बढ़ने लगती है | साथ ही रोजगार के अवसरों की भी
आवश्यकता होती है | यदि जनसंख्या के बढ़ने से लोगों की आय कम होने लगती है तो देश
पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है | देश का विकास अवरूध हो जाता है | जीवन स्तर गिरने
लगता है |
इसके
विपरीत जनसंख्या वृद्धि होने के कारण संसाधनों का सही उपयोग होता है | तो जनसंख्या
वृद्धि अनुकूल प्रभाव प्रदान करती है | क्योंकि जनसंख्या के द्वारा संसाधनों का
सही उपयोग होने पर रोजगार के साधन बढते हैं | लोगों की आर्थिक उन्नति होने लगती है
| देश का विकास तेज गति से होने लगता है | लोगों के जीवन स्तर में बढोतरी होती है
|
जनसंख्या वृद्धि के कारण उत्पन्न
समस्याएँ
जनसंख्या वृद्धि के कारण निम्नलिखित समस्याएं
उत्पन्न हो सकती है |
1)
संसाधनों पर अत्यधिक दबाव
पड़ता है |
2)
जनसंख्या के भरण-पोषण में
कठिनाई उत्पन्न होने लगती है |
3)
विकास की गति धीरे हो जाती
है |
4)
रोजगार के अवसरों की कमी
होती है | इससे आश्रित जनसंख्या बढ़ने लगती है |
जनसंख्या ह्रास (कमी) से उत्पन्न
समस्याएँ
जनसंख्या में कमी (ह्रास) के कारण निम्नलिखित
समस्याएं उत्पन्न हो सकती है |
1)
संसाधनों का पूरा उपयोग नहीं
हो पाता है |
2)
समाज की आधारभूत संरचना
अस्थिर होने लगती है |
3)
देश का भविष्य चिंता और
निराशा में डूबने लगता है |
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